मुख्य मंदिर खजुराहो
मसीही अस्पताल जहां मेरा और मेरे भाई का जन्म हुआ था
अस्पताल का पुरानाह हिस्सा, मंदिर था कोई जो अब बंद कर दिया है।
अस्पताल का दर्शनी हिस्सा।
वॉर्ड
अस्पताल का अहाता
वहां के डॉक्टरों ने बहुत अच्छे से बात की हमसे।
अस्पताल के पिछवाडे में आंवले के पेड
रास्ते में एक पार्क में सुंदर मूर्तियां
इस जनवरी में हमें छतरपूर जाने का मौका मिला। हमारे चचेरे भाई के पोते की शादी थी। भाई तो अब है नही पर उनके बेटे से बहुत पहले हम मिले थे तो मैने छतरपूर जाने की इच्छा प्रकट की थी। छतरपूर (म.प्र.) मेरा जन्मस्थान है। कभी जाने का मौका मिला नही था । तो सोचा इस मौके का लाभ उठाया जाय।
शादी तो वैसे खजुराहो मे थी। पर हमारी दिलचस्पी छतरपूर में ज्यादा थी। मेरी भाभी और भांजे को भी बुलावा था। उन्हें भी हमारी तरह छतरपूर में ज्यादा दिलचस्पी थी क्यूं कि कभी हमारा पुश्तैनी घर वहां हुआ करता था। घर तो अब वहां है नही उसकी जगह दुकाने हैं किसी और की पर पीछे का तालाब वैसा ही है।
तो वहां जा कर हमने सबसे पहले मिशन अस्पताल को भेंट दी । वहां के डॉ ने बहुत प्यार से बात चीत की।
इतने पुराने रेकॉर्ड ना ढूंढ पाने का खेद भी जताया पर उसमें हमारी कोई खास रुचि भी नही थी। उनको आश्चर्य
हुआ कि कोई महज अपने जन्मस्थान को देखने इतने सालों बाद (६९) आ सकता है।
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