Saturday, September 27, 2014
Wednesday, September 10, 2014
गुलाब ही गुलाब
मैं हूँ दोस्ती का प्रतीक
और मै सच्चे प्यार का
मेरे रंग में रंगने वालों!
मुझे क्या कहोगे हूँ तो मै गुलाब ही और कितना प्यारा।
सफेद रंग है पवित्रता का
खूबसूरती तो खूबसूरती है चाहे अकेले हो या भीड में।
चाहे मुरझाया हूँ पर रंग मेरा कितना अलग
फिर मिल गये दोस्त
लाली मेरे गुलाब की जित देखूँ तित लाल।
एक अकेला इस बाग में
कितनी छटाएं
और मै हूँ असली गुलाब
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