Wednesday, September 10, 2014

गुलाब ही गुलाब


मैं हूँ दोस्ती का प्रतीक



और मै सच्चे प्यार का


मेरे रंग में रंगने वालों!


मुझे क्या कहोगे हूँ तो मै गुलाब ही और कितना प्यारा।


सफेद रंग है पवित्रता का



खूबसूरती तो खूबसूरती है चाहे अकेले हो या भीड में।


चाहे मुरझाया हूँ पर रंग मेरा कितना अलग


फिर मिल गये दोस्त


लाली मेरे गुलाब की जित देखूँ तित लाल।


एक अकेला इस बाग में


कितनी छटाएं 

और मै हूँ असली गुलाब

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