Tuesday, December 9, 2014
Saturday, September 27, 2014
Wednesday, September 10, 2014
गुलाब ही गुलाब
मैं हूँ दोस्ती का प्रतीक
और मै सच्चे प्यार का
मेरे रंग में रंगने वालों!
मुझे क्या कहोगे हूँ तो मै गुलाब ही और कितना प्यारा।
सफेद रंग है पवित्रता का
खूबसूरती तो खूबसूरती है चाहे अकेले हो या भीड में।
चाहे मुरझाया हूँ पर रंग मेरा कितना अलग
फिर मिल गये दोस्त
लाली मेरे गुलाब की जित देखूँ तित लाल।
एक अकेला इस बाग में
कितनी छटाएं
और मै हूँ असली गुलाब
Tuesday, August 19, 2014
जाना छतरपूर
मुख्य मंदिर खजुराहो
मसीही अस्पताल जहां मेरा और मेरे भाई का जन्म हुआ था
अस्पताल का पुरानाह हिस्सा, मंदिर था कोई जो अब बंद कर दिया है।
अस्पताल का दर्शनी हिस्सा।
वॉर्ड
अस्पताल का अहाता
वहां के डॉक्टरों ने बहुत अच्छे से बात की हमसे।
अस्पताल के पिछवाडे में आंवले के पेड
रास्ते में एक पार्क में सुंदर मूर्तियां
इस जनवरी में हमें छतरपूर जाने का मौका मिला। हमारे चचेरे भाई के पोते की शादी थी। भाई तो अब है नही पर उनके बेटे से बहुत पहले हम मिले थे तो मैने छतरपूर जाने की इच्छा प्रकट की थी। छतरपूर (म.प्र.) मेरा जन्मस्थान है। कभी जाने का मौका मिला नही था । तो सोचा इस मौके का लाभ उठाया जाय।
शादी तो वैसे खजुराहो मे थी। पर हमारी दिलचस्पी छतरपूर में ज्यादा थी। मेरी भाभी और भांजे को भी बुलावा था। उन्हें भी हमारी तरह छतरपूर में ज्यादा दिलचस्पी थी क्यूं कि कभी हमारा पुश्तैनी घर वहां हुआ करता था। घर तो अब वहां है नही उसकी जगह दुकाने हैं किसी और की पर पीछे का तालाब वैसा ही है।
तो वहां जा कर हमने सबसे पहले मिशन अस्पताल को भेंट दी । वहां के डॉ ने बहुत प्यार से बात चीत की।
इतने पुराने रेकॉर्ड ना ढूंढ पाने का खेद भी जताया पर उसमें हमारी कोई खास रुचि भी नही थी। उनको आश्चर्य
हुआ कि कोई महज अपने जन्मस्थान को देखने इतने सालों बाद (६९) आ सकता है।
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